5 ऐसे मंदिर जहाँ रामनवमीं के दिन नहीं बल्कि रोज़ होते हैं
प्रभु श्रीराम के मस्तक पर सूर्यदेव द्वारा किया गया तिलक।
प्रभु श्रीराम के मस्तक पर
सूर्यदेव द्वारा किया गया तिलक।
Table of Contents
Shree Ram Surya Tilak
रामनवमीं के दिन भगवान श्री राम के मस्तक पर जो सूर्य की किरणों का तिलक हुआ है आज इसके लिए सबसे पहले किसी की जरूरत है। ग्रहों की व्यवस्था की अर्थ का जो एंगल होगा सूर्य के साथ उस पर्टिकुलर दिन कैसे होगा? इसमें तीन इन्स्टिट्यूट ने काम किया
- इंस्टिट्यूट ऑफ ऐस्ट्रोफिज़िक्स, बैंगलोर जिसने उस ऐस्ट्रोफिज़िक्स कैलकुलेशन को सही ढंग से किया
- दूसरा है।सेंटर बिल्डिंग रिसर्च इन्स्टिट्यूट ऑफ रुड़की जिसने की उसकी व्यवस्था बनाने का काम किया
- तीसरी एक कंपनी है जिससे वो कॉमिक्स लैंस के थ्रू कैसे वो अंदर आएगा और ठीक उसी बिंदु के ऊपर उस दिन केंद्रित होगा ये व्यवस्था की है
लेकिन दोस्तों, मैं आपको बताना चाहता हूँ की ऐसी व्यवस्था हमारे पास हजारों साल पहले से भी चलती जा रही है।
5 ऐसे मंदिर जहाँ रामनवमीं के दिन नहीं बल्कि रोज़ होते हैं
ऐसी व्यवस्था कोणार्क के सूर्य मंदिर में भी है।
ठीक ऐसी व्यवस्था अगर आप आंध्र प्रदेश में देखे तो जो भगवान Surya नारायण का मंदिर है उनमे वो भगवान जी के चरणों पर पड़ती है।
और ठीक ऐसे ही महाराष्ट्र में।देवी माता का मंदिर है जिसमें जब 3 दिन के लिए माता के मस्तक से लेकर चरणों तक सूर्य की किरणें चली जाती है।
और तो दोस्तों एक ऐसी व्यवस्था कर्नाटक के संगगिरि में एक मंदिर है उसमें उसमें 12 महीनों में अलग अलग खंभों पर जो की उसी महीने के नाम से अंकित है, उन पर सूर्य की किरणें पड़ती है।
देखो कितना पुराना हमारे पास एक पुरानी व्यवस्था है, ये अभी नहीं बनी है। उस टाइम तक तो हमारे पास पहले इतनी बड़ी बड़ी इन्स्टिट्यूट नहीं थी। जो की आज बड़ी बड़ी सैटेलाइट्स पॉसिबल हो रहा है वो हमारे पास उस समय भी टेक्नोलॉजी थी।
Shree Ram Mandir
5 ऐसे मंदिर जहाँ रामनवमीं के दिन नहीं बल्कि रोज़ होते हैं
दोस्तों, अगर हम अपने राम मंदिर के इतिहास की बात करें तो यह इतिहास बहुत ही पुराना है।ये हमारा एक बहुत ही ऐतिहासिक मंदिर है, क्योंकि हमारे प्रभु श्री राम की जन्मभूमि की एक पहचान है और उनका जन्म भूमि का एक स्थान है।हमारी अपने इस मंदिर को बनवाने के लिए बहुत ही साल तक संघर्ष किया है। हमारे पूर्वजों ने बहुत संघर्ष किया है, उसके बाद जाकर हमको यह एक सफलता मिली है। तो मैं आपसे यही कहना चाहूंगा की आप अपनी पूरी जिंदगी में कम से कम एक बार।अयोध्या में जाकर प्रभु श्रीराम के दर्शन जरूर करें, क्योंकि वह एक सिर्फ मंदिर नहीं है। वहाँ एक सनातन धर्म के लिए एक आस्था है।और उसमें हमारे पूर्वजों का 500 सालों का संघर्ष लगा हुआ है। तो अगर आपको जब भी टाइम मिलता है।आप एक बार जरूर जाकर वहाँ पर प्रभु श्रीराम के दर्शन करें और आपको टाइम नहीं मिलता है तो टाइम निकाल लीजिये अगर आप एक सनातनी है, आप एक हिंदू हैं तो आपको वहाँ पर जाकर एक बार जरूर प्रभु श्रीराम के दर्शन करने चाहिए।
नमस्कार दोस्त
Ram Navmi Special
ये रामनवमीं उत्सव बहुत ही धूमधाम के साथ बनाया गया अयोध्या में इस बार श्रद्धालु ने बहुत ही जबरदस्त तरीके से इस आयोजन को किया और वहाँ पर लाखों श्रद्धालु पहुँचे और जहाँ पर राम के मंदिर में उनके मस्तक पर सूर्यदेव के द्वारा किया गया ये सूरत तिलक बहुत ही ज्यादा फेमस है और बहुत ही ज्यादा चर्चाओं में आ गया है
जैसे की हम आपके साथ पहले डिस्कस कर चूके हैं की ये किस तरीके से किया गया है इस कोई बहुत रिसर्च करके।साइंटिफिक तरीके से सारी चीजों को एक व्यवस्थित रूप में किया गया है। और इसमें कई बड़ी बड़ी रिसर्च इन्स्टिट्यूट ने काम किया है।तब जाकर ये सारी चीज़े पॉसिबल हो पायी
ये एक पहला उदाहरण नहीं है भारत के अंदर जो कि इस तरीके की आपको एक विशेषता दिखाता है, हमारे पास ऐसे बहुत सारे पहले भी उदाहरण हैं जो की हमने आपको ऑलरेडी बता दिए।दोस्तों में आशा करता हु की आप लोगों को हमारी आर्टिकल अच्छा लगा होगा। तो अगर आप भी प्रभु श्री राम में विश्वास रखते हैं तो हमारे आर्टिकल को लाइक जरूर कर दीजिएगा और कमेंट में हमें जरूर बताएगा की आपको ये आर्टिकल कैसा लगा और आपने अभी तक अयोध्या को विजिट किया है या फिर नहीं किया है। ये भी हमें जरूरत आएगा और अगर नहीं किया है तो आपको एक बार जरूर जाना चाहिए।एक्चुअली दोस्तों मिलते हैं आपसे एक से ही एक और इंट्रेस्टिंग आर्टिकल में तब तक के लिए नमस्कार दोस्तों,
5 ऐसे मंदिर जहाँ रामनवमीं के दिन नहीं बल्कि रोज़ होते हैं